*जवा --//*
*सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना लूट का अड्डा।*
*नर्सो द्वारा रूपये नही देने के एवज में प्रसव पीड़ितों के साथ करते है दुर्व्यहार।*
*अस्पताल में बच्चों के जन्म पर वसूली जाती है 500 रु.से लेकर 1000 रू. तक की रकम, अभद्रता की सीमा लांघती नर्सों की भाषा।*
बीएमओ जवा मजबूर या संरक्षक?
जवा/ मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रसव पीड़ितों को बच्चे के जन्म के समय में उनके भरण पोषण और बच्चे को भी पोष्टिक आहार मिले जननी को खाने पीने के लिए 16000 हजार रुपये की राशि देने का एक बहुत ही सराहनीय कदम उठाया गया है लेकिन दूसरी तरफ सरकारी वेतन भोगियों द्वारा उन्ही प्रसव पीड़ितों से भारी भरकम रकम ऐंठी जाती हैं।इस घिनौने कृत्य को एंजाम दे रही नर्सों पर बीएमओ जवा की दृष्टि ओझल हो रही हैं, या फिर मूक सहमति के कारण नर्सों की लूट निर्वाध जारी है। क्योंकि हर प्रसव कराने आये परिवार से 500 रु से लेकर 1000 रु.तक की रकम जबरन वसूली जाती है। प्रसव कराने आये गरीब परिवार जब इन नर्सों से कुछ कम पैसा लेने का निवेदन करते है तो जबाब में धमकी भरे लहजो कहती हैं कि इससे कम नहीं लूँगी और इस पैसे के बारे में किसी को मत बताना वरना ठीक नहीं होगा। कही कही इसी तरह के शब्द आशा कार्यकर्ता द्वारा बोल का प्रसव महिला से पैसे बसूली की जाती है ऐसी हालत में पीड़ित परिवार के दिलो दिमाक में दहशत पैदा हो जाती है और मजबूरन असहाय परिवार पैसा देकर भी नही देने की स्थिति तक सीमित रहता है। क्योंकि उनको डर है कि अगर नही दिया तो कही जच्चा-बच्चा को नुकसान न हो जाय।
इसी कड़ी में एक मामला दिनांक 13 मई 2019 को सामने आया है, सुमन विश्वकर्मा पति विजय शंकर विश्वकर्मा का, सुमन विश्वकर्मा अपने माता-पिता के घर ग्राम खाझा में अपने ही छोटी बहन की शादी में आईं थीं कुछ दिन बीत जाने के बाद सुमन के पेट में दर्द होने लगा,प्रसव होने की आशंका पर परिजनों द्वारा जवा अस्पताल में प्रसव हेतु दाखिल किया गया था जहा पर पुत्री का जन्म हुआ। यह प्रसव नर्स गुलाब कली मिश्रा की देख रेख में हुआ, जिसके बदले गुलाब कली मिश्रा सुमन के परिवार से पैसा माँगा, जब सुमन की बड़ी मां ने डर के चलते 300 रु. देने लगी तो नर्स गुलाब कली मिश्रा ने कहा 500 रु. से एक पैसा कम नही लूँगी और इसके बारे में किसी से कहना भी मत, तब मजबूरन सुमन की बड़ी मां ने 500 रु. दिए। ऐसे ही कई केश चर्चा में आये थे लेकिन डर वश कोई प्रसव पीड़ित परिवार खुल कर कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाये।यहाँ तक कि कोई भी जवा स्वास्थ्य केंद्र की नर्स पीड़ित परिवार से ब्यवहारिक भाषा में बात तक नही करती है पीड़ितों का कहना है कि डॉट फटकार करके बातें करती हैं। ऐसा लगता है किै ये नर्सें अपने निजी पैसे की अस्पताल बनवाकर मरीजों पर ऐहसान करती हैं इसीलिए धौस जमाती रहती हैं।और इन पर बीएमओ जवा की छत्रछाया बनी रहती हैं। इसके पहले भी ऐसे हादसे हुए जिसमे जांच के दौरान बीएमओ अपने स्टॉप और नर्सो का बचाव करते नजर आये इससे साबित होता है कि इस खेल में बीएमओ का रोल ज्यादा रहता है अगर गरीब परिवार के पास पैसा ही होता तो क्यों सरकारी अस्पताल का दरवाजा खटखटाने में मजबूर होते। नर्सों के अभद्र व्यवहार की शिकायतों पर बीएमओ ऐसे नजर अंदाज करते हैं जैसे सब पूर्व नियोजित हो। शायद उन्हे भी अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस पर विरोध का दबाव हो कि कही नर्सों पर अंकुश लगाया तो हमारी अतिरिक्त कमाई पर भी अंकुश न लग जाय।
*रीवा जिले से विवेक सिंह की रिपोर्ट--///*
*सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना लूट का अड्डा।*
*नर्सो द्वारा रूपये नही देने के एवज में प्रसव पीड़ितों के साथ करते है दुर्व्यहार।*
*अस्पताल में बच्चों के जन्म पर वसूली जाती है 500 रु.से लेकर 1000 रू. तक की रकम, अभद्रता की सीमा लांघती नर्सों की भाषा।*
बीएमओ जवा मजबूर या संरक्षक?
जवा/ मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रसव पीड़ितों को बच्चे के जन्म के समय में उनके भरण पोषण और बच्चे को भी पोष्टिक आहार मिले जननी को खाने पीने के लिए 16000 हजार रुपये की राशि देने का एक बहुत ही सराहनीय कदम उठाया गया है लेकिन दूसरी तरफ सरकारी वेतन भोगियों द्वारा उन्ही प्रसव पीड़ितों से भारी भरकम रकम ऐंठी जाती हैं।इस घिनौने कृत्य को एंजाम दे रही नर्सों पर बीएमओ जवा की दृष्टि ओझल हो रही हैं, या फिर मूक सहमति के कारण नर्सों की लूट निर्वाध जारी है। क्योंकि हर प्रसव कराने आये परिवार से 500 रु से लेकर 1000 रु.तक की रकम जबरन वसूली जाती है। प्रसव कराने आये गरीब परिवार जब इन नर्सों से कुछ कम पैसा लेने का निवेदन करते है तो जबाब में धमकी भरे लहजो कहती हैं कि इससे कम नहीं लूँगी और इस पैसे के बारे में किसी को मत बताना वरना ठीक नहीं होगा। कही कही इसी तरह के शब्द आशा कार्यकर्ता द्वारा बोल का प्रसव महिला से पैसे बसूली की जाती है ऐसी हालत में पीड़ित परिवार के दिलो दिमाक में दहशत पैदा हो जाती है और मजबूरन असहाय परिवार पैसा देकर भी नही देने की स्थिति तक सीमित रहता है। क्योंकि उनको डर है कि अगर नही दिया तो कही जच्चा-बच्चा को नुकसान न हो जाय।
इसी कड़ी में एक मामला दिनांक 13 मई 2019 को सामने आया है, सुमन विश्वकर्मा पति विजय शंकर विश्वकर्मा का, सुमन विश्वकर्मा अपने माता-पिता के घर ग्राम खाझा में अपने ही छोटी बहन की शादी में आईं थीं कुछ दिन बीत जाने के बाद सुमन के पेट में दर्द होने लगा,प्रसव होने की आशंका पर परिजनों द्वारा जवा अस्पताल में प्रसव हेतु दाखिल किया गया था जहा पर पुत्री का जन्म हुआ। यह प्रसव नर्स गुलाब कली मिश्रा की देख रेख में हुआ, जिसके बदले गुलाब कली मिश्रा सुमन के परिवार से पैसा माँगा, जब सुमन की बड़ी मां ने डर के चलते 300 रु. देने लगी तो नर्स गुलाब कली मिश्रा ने कहा 500 रु. से एक पैसा कम नही लूँगी और इसके बारे में किसी से कहना भी मत, तब मजबूरन सुमन की बड़ी मां ने 500 रु. दिए। ऐसे ही कई केश चर्चा में आये थे लेकिन डर वश कोई प्रसव पीड़ित परिवार खुल कर कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाये।यहाँ तक कि कोई भी जवा स्वास्थ्य केंद्र की नर्स पीड़ित परिवार से ब्यवहारिक भाषा में बात तक नही करती है पीड़ितों का कहना है कि डॉट फटकार करके बातें करती हैं। ऐसा लगता है किै ये नर्सें अपने निजी पैसे की अस्पताल बनवाकर मरीजों पर ऐहसान करती हैं इसीलिए धौस जमाती रहती हैं।और इन पर बीएमओ जवा की छत्रछाया बनी रहती हैं। इसके पहले भी ऐसे हादसे हुए जिसमे जांच के दौरान बीएमओ अपने स्टॉप और नर्सो का बचाव करते नजर आये इससे साबित होता है कि इस खेल में बीएमओ का रोल ज्यादा रहता है अगर गरीब परिवार के पास पैसा ही होता तो क्यों सरकारी अस्पताल का दरवाजा खटखटाने में मजबूर होते। नर्सों के अभद्र व्यवहार की शिकायतों पर बीएमओ ऐसे नजर अंदाज करते हैं जैसे सब पूर्व नियोजित हो। शायद उन्हे भी अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस पर विरोध का दबाव हो कि कही नर्सों पर अंकुश लगाया तो हमारी अतिरिक्त कमाई पर भी अंकुश न लग जाय।
*रीवा जिले से विवेक सिंह की रिपोर्ट--///*


